जीवन में सभ्यता-संस्कृति को आत्मसात करना जरूरी : अमर बाउरी

बोकारो । ‘झारखंड लोककला एवं संस्कृति की विशिष्टता से युक्त प्रदेश है। हमारी सभ्यता हम सबको लगातार हर वर्ष प्रकृति से जोड़ते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। करमा हमारी पुरातन विरासत है, जिसे आदिकाल से हमारे पूर्वजों के द्वारा मनाया जाता रहा है। यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्रकृति श्रृंगार का पर्व है। हमारी सभ्यता संस्कृति ही हमारी अमूल्य निधि हैं और इससे हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को भी जोड़े रखना है।’ यह कहना है राज्य के मंत्री अमर कुमार बाउरी का। बुधवार को बोकारो के सेक्टर दो स्थित दुर्गा पूजा मैदान के समीप आयोजित करम जावा महोत्सव के समापन समारोह को वह बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। झारखंड सांस्कृतिक मंच की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मंत्री ने बोकारो के शहरी क्षेत्र में इस तरह के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में विकास की अंधी दौड़ में अपनी सभ्यता संस्कृति को भूल जाना सही बात नहीं। सभ्यता और संस्कृति को अपनी जीवन में जोड़े रखने से ही जीवन में हमें आत्मसात करना चाहिए। संस्कृति से जुड़ा जीवन ही सही मायने में सफल जीवन है। उन्होंने इस कार्यक्रम को पूरे बोकारो में झारखंडी संस्कृति की लहर उत्पन्न करने वाला बताया। 

200 से अधिक टीमों ने लिया भाग

करम जावा प्रतियोगिता सह महोत्सव में 200 से अधिक टीमों ने भाग लिया। 60 टीमें फाइनल राउंड में पहुंचीं। तीन से आठ सितंबर तक चला यह कार्यक्रम पिण्ड्राजोरा, मामरकुदर, कालापत्थर, रानीपोखर, सोनाबाद एवं झोपरो में चला। बुधवार को सेक्टर- 2सी मैदान में आयोजित सांस्कृतिक महोत्सव में सैकड़ों लोगों ने अपनी प्रतिभा बिखेरी। मांदर की थाप पर करम गीतों से आसपास का पूरा इलाका गूंज उठा। 

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